"Duaayen bahut see dee.n sabane magar
asar hone main hi zamaane lage."

Monday, November 28, 2011

Log miltey hi nahin kyon


लोग मिलते ही नहीं क्यों दो मुलाकातों के बाद,
टूट जाते हैं सभी रिश्ते शुरूअातों के बाद.

कौन किससे है ख़फा कैसे बताएं ये तुम्हे,
वो भी है बेहाल यारो बदले हालातों के बाद.

खो गईं है रौनकें फ़ीका भी है अांगन मेरा,
चाँद अब घटने लगा है चाँदनी रातों के बाद.

बात करते तो हैं मिलते ही ज़माने की लेकिन,
एक भी मेरी नहीं करते वो सौ बातों के बाद.

ये उड़ी है जो शहर में मौत मेरी की ख़बर,
क्या सहर हो ही गई इतनी स्यारातों के बाद.

रूठ ना जाता ख़ुदा ग़र यूँ ज़रा सी बात पर,
कुछ गिले शिकवे भी कर लेते मुनाजातों के बाद.

हो चुकी है मात जो रोए अनाड़ी ज़ार ज़ार,
ख़तराए सैलाब है अश्कों की बरसातों के बाद.

अनाड़ी"
२३सितंबर २०११


log miltey hi nahiN kyoN do mulakatoN ke baad,
toot jate hain sabhi rishtey shuruaatoN ke baad.

kaun kissey hai khafaa kaise bataiN ye tumheiN,
wo bhi hain behaal yaaro badley halatoN ke baad.

kho gaeeN hain raunkeiN fikaa bhi hai aaNgan mera,
chaand ab ghatney laga hai chandni raatyoN ke baad.

baat kertey tau hain miltey hi zamaane ki lekin,
aik bhi meri nahiN kartey wo sau baatoN ke baad.

ye udhee hai jo shahar mein maut meri ki khabar,
kya sahar ho hii gaee itnee syaraatoN ke baad.

rooTh na jata khuda gar yooN zaraa sii baat par,
kuchh giley shikve bhi kar letey munajatoN ke baad.

ho chuki hai maat jo roye anaaDhi zaar zaar,
khatrae sailaab hai ashkoN ki barsaatoN ke baad.

AnaaDhi”
23rd September 2011

Mera Yaar mujhse barham

मिरा यार मुझसे बरहम कभी था ना है ना होगा ।
मुझे ये भरम ए जानम कभी था ना है ना होगा ।।

रहूँ मै सफ़र में हर पल लगे रुकना मौत मुझको ।
मुझे मंजिलो का मातम कभी था ना है ना होगा ।।
 
जहाँ दोस्ती के माने कोई पल बदल रहे हों ।
वहाँ एतबार कायम कभी था ना है ना होगा ।।
 
करूँ तर्क जाम ज़ाहिद तिरा एतबार क्या है ।
कोई कायदा मुसम्मम कभी था ना है ना होगा ।।
 
ये मुआफ़ी और सज़ाएं हो बली तभी सुहाँए,
किसी नांतवाँ में दम कभी था ना है ना होगा ।।
 
चाहे ख्वाहिशों के तारे रहे टूटते हमेशां,
मिरे चश्म का ये घर नम कभी था ना है ना होगा ।।
 
कहाँ दोस्ती वफ़ा को रहे ढूंढता अनाङी,
तिरे वास्ते ये आलम कभी था ना है ना होगा

AnaaDhi 7th October 2011

Butparasti ki tujhe...

बुतपरस्ती की तुझे देखा तो नीयत हो गई, 
दिल ये मंदिर हो गया तू उसमें मूरत हो गई.

इक तरफ़ तू जांने जाना इक तरफ़ मेरा ख़ुदा
एक आह और इक नज़र से ही इबादत हो गई.

तेरा जलवा तेरी बातें तेरे लब तेरी हँसीं,
इक जगह जब आ मिले समझो के जन्नत हो गई.

हम निकल तो आए थे उस ज़ुल्फो ख़म औ दाम से,
पर असीरी क्या करें इस दिल की आदत हो गई.
चल चलें अब सू ए मंज़िल रास्ते थकने लगे,
इन सितारों की भी देखो कैसी हालत हो गई.

दिल अनाङी कह रहा है पर मुझे लगता नहीं,
के जमीं और चँाद के मिलने की सूरत हो गई.

अनाङी"/१०/२०११

Teri Rehmat Meri Kismat...

तेरी रहमत मेरी किस्मत में अदावत हो गई,
मरने की फुर्सत नही ये जिस्त आफत हो गई.

सौ करें हम काम पर सारे हुनर बेकाम के,
अक्ल ही हर काम में अड़चन की सूरत हो गई.

दाढ़ी काली कर हुए हैं शेख़ जी जब से जवाँ,
हम ने छानी खाक वो बेकार मेहनत हो गई.

डाकुओं का हो गया जम्हूरियत में राज अब ,
देख उस कल्लू गिरहकट की कयादत हो गई,

मौज लेते घूमते कुत्ते गली के हैं यहाँ ,
नस्ल अच्छी हो तो जंजीर इनायत हो गई,

बन गए हुक्कामे आकिल अब अनाड़ी हैं यहाँ,
नौकरानी उन के महलों की लयाकत हो गई...

AnaaDhi...7th October 2011

Mere Seene main ye kya hai...

उन के सजदे में है सब कुछ ही इताअत* के सिवा, ...(* अराधना )
अौर खुदाई में भी सब एक इबाहत* के सिवा. ...(*=न्यायसंगत)


मुख्लिसी* नेकी ईमाँ अौर वफाई सब है,....(*=निश्छलता)
अादमी ज़र हैं सभी लेक असालत के सिवा.*....( अादमी तो सोने के हैं बस ख़रापन नहीं)

ज़र ज़मी हुस्नो जवाहर की तमन्ना है भ्रम,
दौलतें कम हैं सभी एक लयाकत* के सिवा. ..(*= योग्यता)


हादसे जान के साथी ही रहें तो बहतर,
रोज़ ही मौत मुक़र्रर* है क्यामत के सिवा. ..(*= निश्चित)


कोई ख़ुरशीद को मग़रिब से निकलते देखो,
जी हाँ बदला है यहाँ सब मिरी अादत के सिवा.


तेरी बातों में बता बू ए बगावत क्यों है,
क्या अनाड़ी तिरी गुफ़्तार इहानत* के सिवा. ..(*= अनादर)


मेरे सीने में ये क्या है जो धड़कता ही रहे,
कुछ नहीं अौर वो कहते हैं मोहब्बत के सिवा.....
कुछ नहीं अौर वो कहते हैं मोहब्बत के सिवा....


un ke sajde mein hai sab kuchh hi ita'att ke siva,
aur khudaai mein bhi sab ek ibaahatt ke siva.


mikhlisi neiki eemaaN aur wafaee sab hain,
aadmi zar hain yahaN leik asaalatt ke siva.


zar zami husno jwahar ki taman'na hai bhrm,
daultein kam hain sabhi ek lyakatt ke siva.


haadsey jaan ke saathi hi rahein to behtar,
roz hi maut mukr'rar hai kyamatt ke siva.


koee khursheed ko magrib se nikaltey dekho,
jee haN badlaa hai yahan sab miree aadat ke siva.


teri baatoN mein bataa boo e bgawat kyoN hai,
kya anaaDhi tiree guftaar ihanatt ke siva.


mere seeney mein ye kya hai jo dhadhakta hi rahey,
kuchh nahiN aur wo kehtey hain mohab'batt ke siva.....
kuchh nahin aur wo kehtey hain mohab;batt ke siva.....

"अनाड़ी"
२१ सितंबर २०११

Bah gaeeN ab ke baras...

बह गईं अब के बरस कई हस्तियाँ बरसात में,
मिट गए वो मिट गए जिन के निशाँ बरसात में.

उठ रही है गर्द देखो अाबे दरिया लाल है,
पल दो पल की देर है अाया तुफाँ बरसात में.

ए शजर तुझ पर नहीं क्यों फूल या पत्ता कोई,
अब परिंदो का कहाँ हो अाशियाँ बरसात में.

साथ चलता था जहाँ जब अासमां में था मिह्र,
हमसफ़र सब खो गए जाने कहाँ बरसात में.

ए इलाही देख ली तेरी यहाँ इन्साफियाँ,
इक तरफ़ सैलाब उस पे बिजलियाँ बरसात में.

इस बरस बरसात में पानी नहीं तेज़ाब है,
सब्ज़ कैसे ये रहेगा गुल्सितां बरसात में.

अा अनाड़ी बैठा है जो सब से ऊंची शाख़ पर,
उजड़ेगा अब ये चमन ए बागबाँ बरसात में.

AnaaDhi”
23rd september2011

Jab Tha bachpan...

जब था बच पन होती थीं सब मस्तियाँ बरसात में
चल ती थीं तब काग़जों की कश्तियाँ बरसात में

अौर लड़क पन में सभी बेफिक्र थे नादान थे
घूमती थीं ज़लज़लों की टोलियाँ बरसात में

फिर जवानी अा ग़ई था ठोकरों पे ये जहाँ
साथ ले के घूमते थे लड़कियाँ बरसात में

वक्त भी थम ने लगे जब चार बैठे यार हों
गूंजती थी कहकहों से बस्तियाँ बरसात में

कर के शादी वालिदैं पहना दी हम को बेड़ियाँ
गिर गईं अर्माने दिल पर बिजलियाँ बरसात में

अा गए बच्चे तो फिक्रे रोज़गारी हो गया
गीले हैं सब नून अाटा लकड़ियाँ बरसात में

रुख पे थी उम्रे रवानी दिल तो लेकिन था जवाँ
थाम कर दिल देखते थे तित्लियाँ बरसात में

अा के पीरी में हुअा अब्बा का देखो हाल ये
छुट गए मीना अो मय अौर अम्मियाँ बरसात में

उम्र बड़ती का ये घोड़ा गर अनाड़ी थाम ले
हर बरस चड़ता  रहे वो घोड़ीयाँ बरसात में

“AnaaDhi”
23rd September 2011