"Duaayen bahut see dee.n sabane magar
asar hone main hi zamaane lage."

Monday, July 18, 2011

आंसुओ के लफ़्ज सबके दिल की नज़र से पढ़िए


दिल तोड़ कर करो तुम इयादत* मेरी बला से, .
...... * ( मरीज़ का हाल पूछना)
चेहरे पे ओढ़ ली जो शराफ़त मेरी बला से,


चेहरों पे हमने चेहरे हैं उसपे नक़ाब देखे,
तेरी हर अदा में झलके ज़हानत* मेरी बला से. ........ *( अकलमंदी)

तेरी दाड़ी में ए ज़ाहिद* हैं ये तारें सीमो ज़र की**, ..........  *(विरक्त)   **( चांदी सोने की)
तेरी खुल गई दह्‌र* में असालत** मेरी बला से. .........  * (संसार)  **(असलियत)

उन फूलों के दिल से पूछो जिन्हें बागबाँ ने तोड़ा,
हो चमन की या सबा की मलामत* मेरी बला से.........   * (भर्त्सना, निंदा)

दिल और दिमाग़ में है बस फासला नज़र का,
दह्‌न* जिसको चाहे देवे  क़राबत** मेरी बला से.  ......... *(मुहँ)  **( नज़दीकी, नातेदारी)

आंसुओ के लफ़्ज सबके दिल की नज़र से पढ़िए,
दे हाथों में हाथ कहिए ये हालत मेरी बला से.

इतना नहीं है आसां के दूजे के दर्द जानो,
वो चेहरा घुमा के बोले ये अादत मेरी बला से.

उसे कर दूँ दिल हवाले इक उतरे कर्ज़ बाकी,
फ़िर चाहे फ़ूँक देना ये कामत* मेरी बला से.  ......... *(शरीर)

मेरी तरफ़ से देखें तो समझें वो सुख़न मेरा,
या अनाड़ी कह के मुझको दें लानत मेरी बला से..


"Anaa.Dhi"
11th July 2011

No comments:

Post a Comment