"Duaayen bahut see dee.n sabane magar
asar hone main hi zamaane lage."

Wednesday, September 15, 2010

Mohabbat Ka Makbara

रंग ए मोहब्ब्त से सुखन मेरा बेज़ार नज़र आता है
मेरी कलम को बस दुनिया का कारोबार नज़र आता है.

मोहब्ब्त चांद सितारों की, हिज़्र ओ विसाल की दास्तां बस,
मुझे सितारों से पहले निगाह का वार नज़र आता है.

खुदगर्ज़ दुनिया के खुदगर्ज़ बाशिंदों की खुदगर्ज़ मोहब्ब्त में
नफ़रतों का ढेर है जो बारूदों के आम्बार लगाता है.

मोहब्ब्त पैगाम कई पैगंबरों का है सदियों से ईंसान को
कौन है शैतान यहां जो नफ़रतो से संसार जलाता है.

इक अंधा बादशाह बनवाता है मोहब्ब्त का मकबरा, (ताज)
दूजा होकर अंधा अपनों के गले को दार दिखाता है. (औरंगज़ेब)

नफ़रतों का जहॉ है जहां नफ़रतें खाई परोसी और बोई गईं
जफ़ाओं के खेत से इंसा फ़सले मोहब्बते बहार चाहता है

मत करो बात दिखावटी मोहब्ब्त की, झूठी लगतीं है मुझे
देखूं दौर ए मोहब्ब्त तो "अनाढ़ी" कलेजा बाहर को आता है.

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