ज़िन्दगी तुझसे क्या कहूँ यही ख़्याल किया होता,
रोज़े हश्र लाचारी का खुदा से सवाल किया होता.
(रोज़े हश्र = फैसले के दिन)
ज़िक्रे जन्नते मौहूम गर ना था वाज़िब तो ना सही,
इस गर्दिशे अय्याम का कुछ तो मलाल किया होता.
(जन्नते मौहूम = भ्रामक स्वर्ग )(गर्दिशे अय्याम = सांसारिक चक्र)
तूर पे पहुचें फिर भी तुम बातों में मशगूल रहे,*
अनाड़ी ग़मे हस्ती का तभी उससे इब्दाल किया होता
(ग़मे हस्ती = जीवन के दुख:)
(इब्दाल = exchange)
ए बुत ख़ुदा बना कर के हमने तो तेरी इबादत की,
बन के ख़ुदा मगर तूने कोई तो कमाल किया होता.
साकी तेरी इनायत है काम में आई बेख़ुदी,
होश में होते तो जीना अक्ल ने मुहाल किया होता....."अनाड़ी"
* = तूर नामक पर्वत पे कहते हैं हज़रत मूसा ने खुदा से बातें की थीं
रोज़े हश्र लाचारी का खुदा से सवाल किया होता.
(रोज़े हश्र = फैसले के दिन)
ज़िक्रे जन्नते मौहूम गर ना था वाज़िब तो ना सही,
इस गर्दिशे अय्याम का कुछ तो मलाल किया होता.
(जन्नते मौहूम = भ्रामक स्वर्ग )(गर्दिशे अय्याम = सांसारिक चक्र)
तूर पे पहुचें फिर भी तुम बातों में मशगूल रहे,*
अनाड़ी ग़मे हस्ती का तभी उससे इब्दाल किया होता
(ग़मे हस्ती = जीवन के दुख:)
(इब्दाल = exchange)
ए बुत ख़ुदा बना कर के हमने तो तेरी इबादत की,
बन के ख़ुदा मगर तूने कोई तो कमाल किया होता.
साकी तेरी इनायत है काम में आई बेख़ुदी,
होश में होते तो जीना अक्ल ने मुहाल किया होता....."अनाड़ी"
* = तूर नामक पर्वत पे कहते हैं हज़रत मूसा ने खुदा से बातें की थीं
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