"Duaayen bahut see dee.n sabane magar
asar hone main hi zamaane lage."

Thursday, September 1, 2011

Na hogi baat hanse zindgi ki

यहाँ  शायर सभी हैं आनर‌री से,
तेरी हर बात हो डिग्‌नीटरी से.

ये इन्गलिश के भला हैं क़ाफ़िए क्यों,
क्या ढूंढे हैं ये सारे डिक्शनरी से,

ग़ज़ल अच्छी हो मत उम्मीद रखियो,
पढ़े आगे नहीं हम प्राइमरी से.

हुअा करते थे एग्ज़ाम अैप्रल में,
पसीने छूटते  थे  जनवरी से.

ग़ज़ल मेरी है पुख्ता ये समझ लो,
अटैस्ट इसको कराया  नोटरी से.

हैं  सब हड़ताल पर शायर यहां के,
कोई झांके यहां ना बाउंड्री से.

ये मेरे देश की हालत है ऎसी ,
ये अब सुधरेगा प्यारे मिलटरी से.

न होगी बात हमसे ज़िन्दग़ी की,
अरे हम हैं अनाड़ी आर्डनरी से..........

"अनाड़ी"  
6th August 2011

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