"Duaayen bahut see dee.n sabane magar
asar hone main hi zamaane lage."

Tuesday, September 6, 2011

Naseebo ke jo naame hain


यहाँ सारे गदाई* के भरोसे जी रहे हैं, .......(* = भीख मांगना)
तभी तो मांग के साक़ी से मय ये पी रहे हैं ।

ये कहता था वो नामाबर* तु चाहे जो पता दे,...(*= डाकिया)

नसीबों के ये नामें* तो बेनामी* ही रहे है । ...... (*= चिट्ठी,   **= बिना पते के)

अग़रचे दाग़ चेहरे पे मग़र रुसवा* नहीं वो,.......(*= बदनाम)

उधारी चांदनी है चाँद पर नूरी* रहे हैं ।....*= रौशन)

है नकली वर्दीअां सारी जिन्हे पहने फिरो हो,

वही मलबूस* असली जो दिवाने सी रहे हैं ।........(*= लिबास)

बरस लाखों तिरे सजदे में सर मारा इलाही,

मिले जो चारे दिन वो भी तिरी मरज़ी रहे हैं ।

ये अौहदे अौर तम्ग़े अारजी* समझे अनाड़ी,........(*= बिना पैरों के)

इरादे सर हमारे तो बुलंदर्बी* रहे हैं । .......(*= उच्चदर्शी )

"AnaaDhi"
6th Sept 2011

1 comment:

  1. Bhai Jaan

    है नकली वर्दीअां सारी जिन्हे पहने फिरो हो,
    वही मलबूस* असली जो दिवाने सी रहे हैं

    Behtariin...Lajawab...Daad kabool karen...

    Neeraj

    http://ngoswami.blogspot.com

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