बह गईं अब के बरस कई हस्तियाँ बरसात में,
मिट गए वो मिट गए जिन के निशाँ बरसात में.
उठ रही है गर्द देखो अाबे दरिया लाल है,
पल दो पल की देर है अाया तुफाँ बरसात में.
ए शजर तुझ पर नहीं क्यों फूल या पत्ता कोई,
अब परिंदो का कहाँ हो अाशियाँ बरसात में.
साथ चलता था जहाँ जब अासमां में था मिह्र,
हमसफ़र सब खो गए जाने कहाँ बरसात में.
ए इलाही देख ली तेरी यहाँ इन्साफियाँ,
इक तरफ़ सैलाब उस पे बिजलियाँ बरसात में.
इस बरस बरसात में पानी नहीं तेज़ाब है,
सब्ज़ कैसे ये रहेगा गुल्सितां बरसात में.
अा अनाड़ी बैठा है जो सब से ऊंची शाख़ पर,
उजड़ेगा अब ये चमन ए बागबाँ बरसात में.
“AnaaDhi”
23rd september2011
मिट गए वो मिट गए जिन के निशाँ बरसात में.
उठ रही है गर्द देखो अाबे दरिया लाल है,
पल दो पल की देर है अाया तुफाँ बरसात में.
ए शजर तुझ पर नहीं क्यों फूल या पत्ता कोई,
अब परिंदो का कहाँ हो अाशियाँ बरसात में.
साथ चलता था जहाँ जब अासमां में था मिह्र,
हमसफ़र सब खो गए जाने कहाँ बरसात में.
ए इलाही देख ली तेरी यहाँ इन्साफियाँ,
इक तरफ़ सैलाब उस पे बिजलियाँ बरसात में.
इस बरस बरसात में पानी नहीं तेज़ाब है,
सब्ज़ कैसे ये रहेगा गुल्सितां बरसात में.
अा अनाड़ी बैठा है जो सब से ऊंची शाख़ पर,
उजड़ेगा अब ये चमन ए बागबाँ बरसात में.
“AnaaDhi”
23rd september2011
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