तराजू पे रक्खा था जो मन भर का
तोला तो मासा निकला .
दूर से देखा था तो था हीरा,
हाथ आया तो शीशा निकला.
लगा जो निशाने पे वो तीर,
न लगा तो तुक्का निकला.
ऊची दूकान का मशहूर पकवान,
जब भी खाया फीका निकला.
सूरज का गुमान pala जिसपे ,
वो भुझा हुआ शोला निकला.
जिसे हर सवाल का हल समझे,
वो जमा घटा में सिफ़र निकला.
दोनों तरफ से dhasta है जो ,
सांप नहीं नेता निकला.
जो करे भरोसा तो दे धोखा इंसां ,
था रब ने बनाया, पर क्या निकला ,
मत कर भरोसा किसी शे पर "अनाढ़ी"
कसौटी ने जब भी कसा सोना खरा
हर बार खोटा निकला , हर बार खोटा निकला , हर बार खोटा निकला
No comments:
Post a Comment