चेहरे पे मासूमियत , मन में कपट रही होगी ,
तभी उसने फरेब किया होगा
बनाकर सूरत भोली कोई जूठी दास्ताँ कही होगी ,
तभी उसने दगा दिया होगा ,
रहता है होशियार " अनाढ़ी " सदा ही गैरों se ,
उसने apna बनाकर ही dhokha दिया होगा
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