न पूछ मुझसे यूँ दिल की बात,
के सच बोलूं तो जां से गया .
मैं ये बोलूं या वो बोलूं ,
मैं जो बोलूं पर निगाह से गया .
रख गीता पर हाथ भी
करूं जो मैं बयाँ अपना
वो न करेंगे ऐतबार ,
और झूठा मैं जुबां से गया .
जालिम जमाना न समझे दिल की ,
कहूँ न कहूँ पर जहाँ से गया .
" अनाढ़ी " बन्द रख जुबान अपनी ,
निकला जो तीर तो कमां से गया ..
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