चलते रहे अकेले कोई मिला न सानी,.....................................
कैसे बने फसाने कैसे बने कहानी,............................
कुछ इस तरह निभाए इस ज़िन्दगी से रिश्ते,................
इसने हमारी मानी ना हमने इसकी मानी.................
"Duaayen bahut see dee.n sabane magar asar hone main hi zamaane lage."
Friday, June 18, 2010
DARD
काँटों की पढ़ गई है कुछ इस तरह की आदत
न चुभें जिस पल लगे जहाँ से गुज़र गये
ऐसा नहीं के जिंदगी बस टीसों में ही गुजरी
कुछ दिन hmare bhi jannat se guzar gye
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